नज़र आता नहीं
पथरीली दीवारों से घिरा
बगीचा नज़र आता नहीं
इस पागल शोर के बीच
संगीत सुनाई देता नहीं
पेड
आम
कोयल
कूक
केवल शब्द
इनका अनुभव
संभव होता
नज़र आता नहीं
असीम आकाश
घने बादल
बरसात
पहली फुहार
मट्टी
महक
भीनी भीनी
राग मेघ
इनका अनुभव
सामने होते हुए भी
दिल को बहलाता
नज़र आता नहीं
Sunday, June 14, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment