अगर इतना भी पूछना
गुनाह हो जाये,
'तुम कैसे हो
या तुम कैसी हो?'
तो शब्दों का सहारा
लेना छोड़ दो
उसके दिल पर दस्तक करो
प्रेम से
देखना दिल के बंद किवाड़
खुल जायेंगे
जल्दी नहीं
तो कुछ देर से
काश यह विश्वास हमारा होता
काश इस उम्मीद का सहारा होता
Tuesday, July 7, 2009
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